
आगरा। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत गरीब बच्चों के लिए आरक्षित सीटों पर अमीर अभिभावकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश लेने का गंभीर मामला सामने आया है। इस संबंध में अभिभावक संघ के संयोजक डॉ. मदन मोहन शर्मा ने मुख्य विकास अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ज्ञापन के अनुसार, अनेक मामलों में ऐसे अभिभावक सामने आए हैं, जिनकी सालाना आय 5 लाख रुपये से अधिक है और इनमें से कई नियमित रूप से आयकरदाता हैं, लेकिन उन्होंने फर्जी आय प्रमाणपत्र या शपथपत्र के जरिए अपने बच्चों का प्रवेश निशुल्क आरटीई सीटों पर करवा लिया। यह न केवल आरटीई कानून का उल्लंघन है, बल्कि जरूरतमंद और वंचित वर्ग के बच्चों के अधिकारों पर सीधा प्रहार है। डॉ. शर्मा के अनुसार, उत्तर प्रदेश शासन के आदेश (02.09.2014) के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी की आय सीमा 1 लाख रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित है। इसके बावजूद, कई सक्षम परिवारों ने नियमों को ताक पर रखकर सरकारी सुविधा हड़प ली है। ज्ञापन में आय प्रमाणपत्रों की सत्यता पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है। विद्यालय दूरी नियम (एक किमी प्राथमिक, तीन किमी उच्च प्राथमिक) के उल्लंघन की बात भी कही गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह फर्जीवाड़ा, जालसाजी और आपराधिक षड्यंत्र का मामला बनता है। ज्ञापन में मांग की गई है कि सभी संदेहास्पद दाखिलों की दोबारा जांच हो। दोषी अभिभावकों के बच्चों का प्रवेश रद्द किया जाए। जिम्मेदारों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हों। दस्तावेजों की ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया को मजबूती दी जाए। पुराने दाखिलों की भी समीक्षा कर दूरी मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस संबंध में प्रमाणों सहित प्रशासन को विस्तृत सूची सौंपी गई है। यदि समयबद्ध कार्रवाई नहीं हुई, तो मामला माननीय उच्च न्यायालय में ले जाया जाएगा।